कोई साथ नहीं रोयेगा,
बैठ के जब रोओगे दुःख से !
सब रहते है अपनी-अपनी ,
दुनिया में अपने ही सुख से!!
दुनिया एक समुंदर है ओं ,
हम सब इक-इक लहरों पर!
फिर भी सपने पाल रहे हैं ,
आशाओ के पहरों पर!
अपने दुःख का कारण खुद हो ,
जान-बूझ कर भी बे-सुध हो !
आखिर खीझ रहे हो क्यों तुम?
बेगाने सपनो के रुख से!!
अगर जीतना है दुःख से तो ,
छिपो नहीं तुम बाहर आओ !
रखो ह्रदय को साफ़ औं बातें ,
भली निकालो अपने मुख से!!