बात निकलेगी तो आँखों मे आंसू आयेगे,
हम लड़ बैठेगें,
फिर बाद में पछ्तायेंगे !
नीचा करने की तमन्ना में ,
एक दूसरे को ,
क्या ,
खुद ही की नजरो में ना गिर जायेगे!!
जाये ना मसजिदों में हम तौबा करने ,
ना मंदिरों मे जा के हम माफ़ी मांगे !
कायदा ये हो कि,हर भूल से हम यूँ निपटे ,
गले मिले,
मगर,जिद कि भी दीवार लांघे!!
हमारी सोच अच्छी है कि बुरी ,सोच लो तुम ,
हमारी सोच फिर से लौट -लौट आएगी !
हमारी फूल सी मासूम नई पीढ़ी में ,
हमारी सोच ही सोचो तो नज़र आएगी!!
कहानी नफरतो वाली ही सुनाते जो रहें ,
हमारे बच्चो में मुस्कान कहाँ पायेगें ?
जो हम हिन्दू-मुसलमान ही पैदा करें तो ,
आदमी नस्ल के बच्चे कहाँ से लायेंगे ??
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