सारा जीवन इक कागज है,
हम दुःख-सुख लिखते जाते हैं !
हम हैं बच्चो के जैसे जो,
कागज की नाव बनाते हैं !!
कुछ छूट गया ,कुछ पकड़ लिया,
सारा जीवन यूँ व्यर्थ गया !
जब शाम हुई ,तम देख-देख .
हम रोने क्यूँ लग जाते हैं!!
हर शाम का स्वागत किया करो,
ये शाम सुबह को लाती है!
इक-इक छण-छण में जीवन है ,
जो बच्चो में मुस्काती है !!
जब दुःख आये ,सुख बाँट दो सब ,
तुमको भी सुख मिल जायेगा !
तेरे जैसा ही इक कोई ,
तुमको भी खुश कर जायेगा !!
जीवन को मानो मस्त हवा ,
मत बांधो रिश्ते -नातों में !
हर इक से रिश्ता रखो मगर ,
मत उलझो शह औं मातों में !!
हमने तुमने क्यूँ सुना नहीं ,
जो कान में ईश्वर ने कहा ,
अपने अंदर में ख़ुशी रखो ,
और मुख से निकले हा!हा!!हा !!!
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