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रविवार, 27 फ़रवरी 2011

क्या जीवन का था लक्ष्य यही?? hey eshwar (tanu thadani)




क्या जीवन का था लक्ष्य यही??
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सब हासिल  हो सब मिल जाए ; 
हर इक जीवन का लक्ष्य  यही!

चुन-चुन कर भरा किये घर को ,
पर्दों, सोफों ,सामानों से,
दिन-दिन भर प्रपंच किये ,
हम सन जाते अपमानो से!

घर भरते-भरते उम्र कटी ,
फिर जायदाद बेटों में बटी,
हमको भी मिला फिर इक कोना, 
जहाँ  खिड़की  थी और थें पर्दे ,
पर्दे के बाहर देखा जब ,
हर ओर ही था सूना-सूना !

अपरिचित थें वो व्यस्त मिले,
जो परिचित थे वो ध्वस्त मिले ,
अब दर्द ही था दूना-दूना,
हर पोर-पोर रिस-रिस पूछे ,
क्या जीवन का था लक्ष्य यही??







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