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सोमवार, 7 मार्च 2011

hey eshwar (tanu thadani)

कोई साथ नहीं रोयेगा,
बैठ के जब  रोओगे  दुःख से !
सब रहते है अपनी-अपनी ,
दुनिया में अपने ही सुख से!!

दुनिया एक समुंदर है ओं ,
हम सब इक-इक लहरों पर!
फिर भी सपने पाल रहे हैं ,
आशाओ के पहरों पर!

अपने दुःख  का कारण खुद हो ,
जान-बूझ  कर भी बे-सुध हो !
आखिर खीझ रहे हो क्यों तुम?
बेगाने सपनो के रुख से!!

अगर जीतना है दुःख से तो ,
छिपो नहीं तुम बाहर आओ !
रखो ह्रदय को साफ़ औं बातें ,
भली निकालो अपने मुख से!!
























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